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पंजाब में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त एवं संविधान की प्रति जलाने के संबंध में चंद्रशेखर आजाद की प्रतिक्रिया


जहाँ एक ओर देश संविधान लागू होने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर गौरवान्वित हो रहा है ,वहीं दूसरी ओर अमृतसर में सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के पास हेरिटेज स्ट्रीट पर परम पूज्य बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने और संविधान की प्रति जलाने की घटना ने जातिवादी मानसिकता के नंगे सच को उजागर कर दिया है। यह कृत्य केवल एक प्रतीकात्मक हमला नहीं है, बल्कि एक सुनियोजित प्रयास है। जो समाज के दबे-कुचले वर्गों को उनके अधिकारों और सम्मान से वंचित रखने की घृणित मानसिकता को प्रदर्शित करता है। साथ ही यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आम आदमी पार्टी की सरकार इतनी महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक जगह पर भी नागरिकों और प्रतीकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रही है।

जातिवादी ताकतें, जो सदियों से अपने विशेषाधिकारों को बनाएं रखने के लिए षडयंत्र करती रही हैं, इस तरह के कायरतापूर्ण प्रयासों से यह साबित करती हैं कि वे आज भी बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा स्थापित समानता और न्याय की व्यवस्था से भयभीत हैं। संविधान, जिसने भारत को जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर एकता और बंधुत्व का संदेश दिया, उस पर इस प्रकार का हमला दर्शाता है कि कुछ ताकतें अभी भी जातिगत भेदभाव को बनाए रखना चाहती हैं।

बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने और संविधान को जलाने वालों ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे संविधान के मूल्यों को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि यह मानसिकता अब भारत में टिकने वाली नहीं है।


ऐसे समय में जब देश संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, यह घटना हमें याद दिलाती है कि जातिवाद केवल इतिहास का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक जिंदा चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए समाज को संगठित होकर जातिवादी मानसिकता के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी।

@DGPPunjabPolice को चाहिए कि दोषियों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई करे, ताकि समाज को यह संदेश मिले कि संविधान की गरिमा और बाबा साहेब के आदर्शों के खिलाफ जाने वाले किसी भी व्यक्ति को कानून के शिकंजे से बचने का अवसर नहीं मिलेगा। अब समय आ गया है जब हम बाबा साहेब के सपनों के भारत को साकार करने के लिए जातिवाद और नफरत की जड़ों को उखाड़ फेंके। संविधान की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है, और इसकी गरिमा को बनाए रखना हमारा सामूहिक दायित्व।

जय भीम, जय भारत, जय संविधान।

एडवोकेट चंद्रशेखर  आज़ाद, संसद नगीना, आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम)

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