हर लड़की छुई मुई सी नहीं होना चाहती, बल्कि कुछ होना चाहती हैं हिम्मती और मुँहफ़ट।
जो तहज़ीब और तमीज़ तो समझती ही हों, लेकिन ज़रूरत पड़े तो जमकर एक मुक्का जड़ दें हाँथों से, और अपनी जुबान से भी।
लड़कियों को ऐसा ही बनाया जाए
भले ही थोड़ा-बहुत ही सही, लेकिन उन्हें सिखाया जाए ग़लत को ग़लत कहने और विरोध करने का तरीक़ा भी और हिम्मत भी।
उन्हें सिखाया जाए कि सजना- सँवरना ख़ुद के लिए होना चाहिए, पुरुषों की नज़र में आने के लिए नहीं।
लड़कियों को सिखाया जाए, कोमलता के साथ मज़बूत होना भी।
रोना भी, और रुला देना भी,
जो दुनिया को ख़ूबसूरती के साथ देती हैं हिम्मत और
एक जज़्बा भी लड़ने का,
जीने का, उड़ने का, और खिलखिलाने का।
— अंजली सैनी
#स्त्री_का_जज्बा
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