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महाकुंभ में है अखिलेश यादव की गहरी आस्था

 

महाकुंभ प्रयागराज की यात्रा के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने भारतीय संस्कृति में लोक की परंपरा के प्रति अपने आदर भाव को प्रकट किया है। प्रयागराज संगम में कुंभ का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। गंगा, यमुना सरस्वती के संगम प्रयागराज में हर 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज में इस वर्ष 2025 में महाकुंभ का आयोजन हुआ। इस महाकुंभ में देश में बाबा साहब के संविधान की स्थापना के ऐतिहासिक दिन गणतंत्र दिवस के अवसर पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने पवित्र संगम पर आयोजित महाकुंभ में स्नान किया। श्री अखिलेश यादव के साथ उनके पुत्र अर्जुन यादव और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी भी मौजूद रहे।

    श्री अखिलेश यादव ने संगम स्नान के बाद महाकुंभ में आए हुए कई पूज्य संतों, शंकराचार्यों से मिलकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। महाकुंभ में कई धार्मिक संस्थानों में भी गए। हिमालय शंकराचार्य शिविर में जाकर ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी से भेंट की। इससे पूर्व स्वयं शंकराचार्य जी ने श्री अखिलेश यादव को अपने रथ कैरावेन डीसी पर बैठाकर उन्हें सम्मान दिया। उनके शिविर में हो रहे हवन में भी श्री यादव ने हिस्सा लिया। उन्होंने महाकुंभ मेला परिक्षेत्र में मुलायम सिंह यादव स्मृति संस्थान द्वारा सेक्टर 16 में स्थापित श्रद्धेय नेताजी मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

    महाकुंभ में संत परंपरा के महात्माओं से भेंट करने के पीछे भी उनकी दृष्टि मान्यताओं के मूल तत्व को समझने की रही है। साथ ही लोक की उस परंपरा का सम्मान करना है जो सदियों से उसी रूप में चली आ रही है। संगम परिक्षेत्र में तीर्थ यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने हेतु श्री यादव ने सरकार को सुझाव भी दिया जिससे आवागमन एवं दर्शन आसानी से हो सके।

    एक श्रद्धालु के रूप में महाकुंभ मेले में भ्रमण कर विभिन्न संस्थाओं के लोगों से संवाद करते हुए श्री अखिलेश यादव ने जीवनदायिनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर सबके कल्याण की कामना किया। महाकुंभ के पावन अवसर पर सूर्य को अर्घ्य देकर संगम में उन्होंने ग्यारह डुबकी लगाकर देश की समृद्धि और लोगों के स्वास्थ्य, तरक्की, लोक कल्याण की कामना की। ग्यारह डुबकियों के साथ पवित्र स्नान में क्रमशः एक डुबकी माँ त्रिवेणी को प्रणाम, एक डुबकी आत्म-ध्यान की, एक डुबकी सर्व कल्याण की, एक डुबकी सबके उत्थान की, एक डुबकी सबके मान की, एक डुबकी सबके सम्मान की, एक डुबकी सर्व समाधान की, एक डुबकी दर्द से निदान की, एक डुबकी प्रेम के आह्वान की, एक डुबकी देश के निर्माण की, एक डुबकी एकता के पैगाम के लिए किया।

    सन् 2013 में श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके नेतृत्व में कुंभ आयोजित करने का महान अवसर प्राप्त हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व और नगर विकास मंत्री रहे मोहम्मद आजम खां साहब की देखरेख में कुंभ का शानदार आयोजन हुआ था। उस समय भी श्री अखिलेश यादव ने महाकुंभ में डुबकी लगाकर लोक कल्याण की कामना की थी।

    श्री अखिलेश यादव ने महाकुंभ की यात्रा के दौरान आम जन से संवाद के क्रम में जिन समस्याओं को महसूस किया उनके समाधान हेतु सरकार से अनुरोध भी किया। उन्होंने इंगित सुझावों को लेकर स्पष्ट किया कि इसे आलोचना न समझा जाए बल्कि महाकुंभ प्रशासन को इन पर अमल करना चाहिए। लेकिन आत्ममुग्धता की शिकार भाजपा सरकार ने हवाहवाई निर्णय करते हुए करोड़ों श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा को कष्टकारक बना दिया। जिसका परिणाम मौनी अमावस्या की दुःखद घटना के रूप में सामने आया।

    श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल की तत्कालीन समाजवादी सरकार में सन् 2013 में आयोजित महाकुंभ आयोजन की व्यवस्था को आधार मानकर मौजूदा शासन-प्रशासन को तैयारी करना चाहिए था। उस महाकुंभ की व्यवस्थाओं की साधु, संतों, महंतों और धर्माचार्यों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। उस भव्य और शानदार महाकुंभ के आयोजन में सुविधाओं और भीड़ मैनेजमेंट की सराहना पूरे विश्व में हुई थी।

    विश्वविख्यात हावर्ड विश्वविद्यालय ने अपने दल के साथ महाकुंभ का अध्ययन और षोध किया। महाकुंभ 2013 के आयोजन प्रबंधन की सराहना हावर्ड विश्वविद्यालय ने किया था। हावर्ड विश्वविद्यालय के साउथ एशिया इंस्टीट्यूट (एसएपी) मैपिंग द कुंभ मेला नामक एक बहुवर्षीय शोध परियोजना के अंतर्गत ‘‘कुंभ मेला एक क्षणिक महानगर का प्रतिचित्रण‘‘ पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ। इसमें कुंभ मेले को एक केंद्रीय परियोजना के रूप में देखा गया। जुलाई 2012 से लेकर फरवरी 2013 तक के सभी बैठकों एवं आयोजन से जुड़े बिंदुओं पर इसमें समग्रता से अध्ययन है। साथ ही लोक स्वास्थ्य, आंकड़ा विज्ञान, भीड़ प्रबंधन, धर्म संस्कृति, नगर योजना, व्यवसाय, स्वच्छता को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। मौजूदा महाकुंभ प्रशासन श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल की इस प्रबंधन व्यवस्था पर अमल करता तो इससे तीर्थयात्रियों को सहूलियत के साथ प्रबंधन में त्रुटियों से बचा जा सकता था।

    समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव देश के विरले राजनीतिज्ञ है जिन्होंने जन भावनाओं से जुड़े आयोजनों को प्राथमिकता दिया है। महाकुंभ के प्रति उनके जुड़ाव और आयोजन में शामिल होने के पीछे जनता की मनःस्थिति को समझते हुए उनके साथ सक्रिय रूप से सहभागी होना है। श्री यादव ने केंद्र से मांग की कि उत्तर प्रदेश सरकार को उससे अधिक जनसुविधा के लिए धनराशि देनी चाहिए ताकि महाकुंभ पर्व की व्यवस्था ज्यादा बेहतर हो सके। बुजुर्गों को दूर से सामान लेकर न आना पड़े। सभी श्रद्धालुओं और संतों, महात्माओं के लिए अधिक सुविधाएं हो। उन्होंने केंद्र से यह भी मांग की कि कुंभ क्षेत्र में स्थित किला को उत्तर प्रदेश सरकार को दे देना चाहिए। यहां अक्षयवट भी है।

    पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने महाकुंभ की पुण्य-यात्रा के क्रम में ठीक ही कहा कि महाकुंभ 144 साल में एक बार आता है, वो भी संगम के किनारे, ही मतलब जीवन में एक बार और वो भी नदियों के मिलन स्थल पर, इसीलिए इससे ये संकल्प लेना चाहिए कि हमें जो जीवन मिला है वो अलग-अलग दिशाओं से आती हुई धाराओं के मिलन से ही अपना सही अर्थ और मायने पा सकता है। हमें संगम की तरह जीवन भर मेलजोल का सकारात्मक संदेश देना चाहिए। सद्भाव, सौहार्द और सहनशीलता की त्रिवेणी का संगम जब-जब व्यक्ति के अंदर होगा, तब-तब हम सब महाकुंभ का अनुभव करेंगे।

                (प्रस्तुतिः राजेन्द्र चौधरी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं)

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