अवधेश प्रसाद रो रहे हैँ,उनके आंसू पोछ रहे हैँ,संविधान निर्माताओं ने इसी भारत की कल्पना की थी, जहाँ पिछड़ा रोए तो दिल अगड़े का भी भर आए,दलित के आंसू निकले तो ब्राम्हण अपना रुमाल निकालने में पलभर का भी विलम्ब ना करे,जिस दिन सभी हिन्दुस्तानियों का दिल इसी भावना से भर जाएगा,उसी दिन असल भारत की स्थापना होगी,

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